१/मौला क्यूँ मुक़द्दर के नाम पे तेरी दुनिया बाँट दी जाती है
जब कोई जलता है तो किसी के हिस्से में रौशनी आती है
२/न हर महफ़िल में इश्क होता है, न हर चिराग ही धुआं देता है
हम फिर भी जिद में बैठे हैं कि वो बेवफा नहीं
कोई रोके हमें खुदा का वास्ता देकर
कि हर मस्जिद में मिलता है बस इन्सान यक़ीनन खुदा नहीं
जब कोई जलता है तो किसी के हिस्से में रौशनी आती है
२/न हर महफ़िल में इश्क होता है, न हर चिराग ही धुआं देता है
हम फिर भी जिद में बैठे हैं कि वो बेवफा नहीं
कोई रोके हमें खुदा का वास्ता देकर
कि हर मस्जिद में मिलता है बस इन्सान यक़ीनन खुदा नहीं
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