क्यूँ मातम है मेरे घर में जब तेरे घर खुशहाली है
मेरी क्यों होली जलती है जब तेरे घर दिवाली है
हम दोनों के घर वैसे तो रोटी की बदहाली है
तुझको रास नहीं आती पर मेरे घर कंगाली है
हम दोनों की आँखों को वैसे तो एक बीमारी है
तू चकाचोंध मैं अँधा है पर मेरी रात ही काली है
क्यूँ राशन है तेरे घर मैं जब देश की जेब ही खाली है
तेरी क्यूँ जयजय कार करें जब नाम तेरा ही गाली है
दीपक अन्जान...
मेरा वादा है मैं आग लगा दूंगा........
पर तेरे इस वादे पे की अगर बुझ गयी तो तू वापस जला देगा
दोस्तों इसे शेयर करें अगर आपको भी वही लगता है जो मुझे लगता है
मेरी क्यों होली जलती है जब तेरे घर दिवाली है
हम दोनों के घर वैसे तो रोटी की बदहाली है
तुझको रास नहीं आती पर मेरे घर कंगाली है
हम दोनों की आँखों को वैसे तो एक बीमारी है
तू चकाचोंध मैं अँधा है पर मेरी रात ही काली है
क्यूँ राशन है तेरे घर मैं जब देश की जेब ही खाली है
तेरी क्यूँ जयजय कार करें जब नाम तेरा ही गाली है
दीपक अन्जान...
मेरा वादा है मैं आग लगा दूंगा........
पर तेरे इस वादे पे की अगर बुझ गयी तो तू वापस जला देगा
दोस्तों इसे शेयर करें अगर आपको भी वही लगता है जो मुझे लगता है
No comments:
Post a Comment