Wednesday, May 1, 2013

ऐसे ही नहीं बन जाता कोई मन मोहन !!


इस समय अगर मनमोहन सिंह जी को भारतीय राजनीति  का विदूषक कह दिया जाय तो क्या यह अतिशयोक्ति होगी ? पता नहीं पर मेरी याद में लालू के बाद जो स्थान रिक्त हुआ उस पर किसी और को बिठाया जाना लाजिमी नहीं प्रतीत होता .

गांधीजी ने एक बार माता से पूछा कि " मां मेरा नाम मोहन दास क्यूँ है ?" माता बोली कि बेटा पंडित जी ने दो नाम सुझाए एक मोहन दास और दूसरा मन मोहन और कहा की अगर नाम मोहन दास रखा  तो ये देश की आजादी के लिए लडेगा और अगर मन मोहन रखा तो पूरा देश इस बेचारे की आजादी के लिए लडेगा . बेटा यह सुनकर मैं तो घबरा ही गयी और तेरा नाम मोहन दास रख दिया . मन मोहन नाम रखके किसी का मन न मोह पाने से अच्छा है कि  तेरा नाम मोहन दास ही रखा जाय .

फिर बेटा तेरा नाम तो बहुत महान है तुझ से ज्यादा शक्ति तेरे नाम में है . तेरे नाम की खाल ओढ्के न जाने  कितने भेड़िया , भेड़ बनकर समाज के हर तबके को चोरी चोरी चुपके चुपके खाते रहेंगे .

भगवन राम ने सीता मैया से कहा की सीते मेरे आदर्शवादी जीवन मैं मेने कभी कोई गलती नहीं की सिवाए इसके की मैंने तुम्हें त्याग दिया ,अगर चाहता तो राज गद्दी त्याग सकता था पर मैं स्वार्थी हो गया था . उसी समय घूमते मन मोहन नमक एक हिरन ने उनकी बातें सुन लीं और वही आगे चलकर अनेक जन्मों बाद जंबू द्वीप का प्रधानमंत्री बना। उसने बोलना तक छोड़ दिया ,फेसबुक पर बेइज्जती सही ,सुप्रीम कोर्ट की डांट ,चीन की घुसपैठ और विरोधियों के हजारों आंदोलनों के बाद भी गद्दी नहीं छोड़ी .

भगवन बुद्धा से एक बार उनके शिष्य ने पूछा की आप बोलते क्यूँ नहीं ? ये अन्दर की बात हमें भी बताएं .
तथागत उस दिन कुछ नहीं बोले . कुछ दिनों बाद एक प्रवचन मैं उन्होंने कहा की अगर मनुष्य अपनी वाणी पर नियंत्रण कर ले तो कुछ भी असंभव नहीं है . ऐसा मनुष्य सुख दुःख ,जय पराजय ,मान अपमान ,घोटाला -घुसपैठ सभी स्थितियों में सम रहता है अर्थात कुछ नहीं बोलता ,न ही कुछ करता है और अपने साथ -साथ पुरे देशवासियों के लिए स्वर्ग के द्वार खुलवा देता है. यह वही हिरन था जो कई जन्मों बाद बुद्धा का शिष्य बना था .

भगवन श्री किशन बोले की है पार्थ कर्मों के बंधन से कोई नहीं बचा . जो लोग कुछ नहीं करते वोह भी कुछ न करने का कर्म ही कर रहे हैं . बोलना जैसे एक कर्म है, न बोलना भी एक कर्म ही है .मनुष्य का काम है कर्म करना , फल देना मेरा है . इस वार्तालाप को एक नर मोहन चिड़िया सुन रहा थी जो पिछले जन्म में बुध का शिष्य था .

आजकल मनमोहन का इस्तेमाल राजस्थान मैं कठपुतली का नाच दिखने के लिए किया जा रहा है वहीँ दूसरी तरफ बहुत से ठग  भोले भाले लोगों मैं इस बात का अंधविश्वास फैला रहे हैं की मन मोहन जी को बोलते हुए देखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है . न जाने कितने सारे लोग TV के सामने दिन रात इसी इन्तेजार में बैठे रहते हैं की कब मनमोहन मुंह खोंले . मौसम विभाग ने इस तरह की संभावनाओं को महज इत्तेफाक बताया है और कहा है की उड़न तश्तरियों को देखे जाने की तरह मनमोहन का बोलते हुए दिखना भी एक कोरी बकवास है .

इसी तरह सट्टा बाजार भी मनमोहन की न बोलने की आदत के चलते बहुत फल फूल रहा है . लोग IPL की बजाये इस सम्भावना मैं अधिक रूचि लेकर पैसा लगा रहे हैं हालाँकि अधिकांश को निराशा ही हाथ लगी है. पर लोगों को उनके बोलने का सब्जबाग दिखने वालों की तो निकल पड़ी है . अपने पुरे परिवार को जुए मैं हार चुके एक सज्जन को पूरा यकीं है की मनमोहन एक दिन  जरूर बोलेंगे .

हाल ही में जीव वैज्ञानिकों ने सजीव् और निर्जीव दोनों के गुणों वाले जीवों की सूची  में  एक नया नाम शामिल किया है जिसका नाम मनमोहन रखा गया है . कांग्रेस के नेताओं ने इस पर जम कर नारेबाजी की परन्तु मनमोहन हमेशा की तरह चुप ही रहे. वैज्ञानिकों ने एक ऐसे उपकरण का अविष्कार किया है जो अधिक कष्ट होने पर स्वयं ही व्यक्ति के मन की आवाज निकल देता है जिसे वह व्यक्ति मजबूरी वश नहीं बोल पा रहा . प्रधानमंत्री आवास में इस उपकरण ने काम करना ही बंद कर दिया .








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