जग जा रे मन भोर भई अब कौन उठावन आयेगा .
तारे रीते , चमका सूरज , तू सोता रह जाये ना
कलरव करते पक्षी अम्बर को छूके कबके लौट चुके
जागा जग सारा तू भी उठ ,आंखे मलता रह जाये ना
बीत गए युग ,बदले मौसम ,कौन जगावन आयेगा
हिम्मत कर और तान हौसला , करवट बदले क्या पायेगा
देश है कातर नज़रों से रे , तेरा भी रस्ता बाट रहा
देख हक़ीक़त ,खोल ले आंखें ,सपनों में तू घुल जाये ना
तारे रीते , चमका सूरज , तू सोता रह जाये ना
कलरव करते पक्षी अम्बर को छूके कबके लौट चुके
जागा जग सारा तू भी उठ ,आंखे मलता रह जाये ना
बीत गए युग ,बदले मौसम ,कौन जगावन आयेगा
हिम्मत कर और तान हौसला , करवट बदले क्या पायेगा
देश है कातर नज़रों से रे , तेरा भी रस्ता बाट रहा
देख हक़ीक़त ,खोल ले आंखें ,सपनों में तू घुल जाये ना
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