Sunday, May 12, 2013

हम जो पीते हैं ,कि प्यालों से सबक लेते हैं अपने मेहबूब के आने की तमन्ना लेकर ये तो हर लब को होंठो से लगा लेते हैं

हम जो पीते हैं ,कि प्यालों से सबक लेते हैं
अपने मेहबूब के आने की तमन्ना लेकर
ये तो हर लब को होंठो से लगा लेते हैं

हम जो जीते हैं ,कि दरख्तों से सबक लेते हैं
अपने मेहबूब के आने की तमन्ना लेकर
ये तो हर राही को आँचल में छुपा लेते हैं

हम जो रोते हैं,कि आइनों से सबक लेते है
अपने मेहबूब के आने की तमन्ना लेकर
ये तो हर शख्स के आंसू को सीने में छुपा लेते हैं

हम जो डरते हैं,कि समंदर से सबक लेते हैं
अपने मेहबूब के आने की तमन्ना लेकर
ये तो हर बूंद को हमराज बना लेते हैं 

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