Saturday, May 11, 2013

सबकी किस्मत तो तू अपने हाथों से लिखता है ना ? एक सितारे से कह देना मेरा भी सलाम मेरे ख़ुदा।।

क्यूँ इतने इत्तेफाक मेरी झोली में डाल दिए खुदा
सबको मोहब्बत दी मुझे आँसुओं की कैद में डाल दिया खुदा।।

इस गाँव में तो और भी घर थे मेरे आका
क्यूँ ऐसी हवा चली कि बस मेरी छत को निकाल  दिया ख़ुदा।।

तैरना तो औरों को भी नहीं आता
बस मेरे घर में आ जाती है यह बाढ़ मेरे खुदा।।

तेरा सूरज तो सबके लिए चमकता है
फिर सुबह होते ही क्यूँ हो जाती है मेरी शाम मेरे खुदा।।

सबकी किस्मत तो तू अपने हाथों  से लिखता है ना ?
एक सितारे से कह देना मेरा भी सलाम मेरे ख़ुदा।।



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