Saturday, May 11, 2013

देखते देखते तुम ढक्कन से जाम हो गए गुठली थे जब मिले थे आज आम हो गए

देखते देखते तुम ढक्कन से जाम हो गए
गुठली थे जब मिले थे आज आम हो गए

सुना है बहुत पैसा कमा लिया तुमने
जो बनते भी न थे वो सारे काम हो गए

अब तो काफिलों की दौड़ है तुम्हारे पीछे
साईकिल पे थे कभी , आज बंद लाम हो गए


जरा देखना कि लोग मानते हैं तुमको बहुत ज्यादा
तुम ही ख़ुदा हो उनके  तुम ही उनके राम हो गए

लोगों का भरोसा न तोड़ देना ,याद रखना
तुम्हें पिलाते रहे वो आज तक कि  खाली जाम हो गए

जो वादे किये थे लोगों से निभा दे अब तो
इन्तेजार में खड़े ये सुबह से न जाने कब के शाम हो गए


दीपक


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