Wednesday, May 8, 2013

सॉरी पापा !! - लघु कथा

रोज जीना और फिर खुद में दफ़न हो जाना ,कितना अजीब सा अहसास है किसी ऐसी जिन्दगी के बारे में सोचना जिसमे कुछ नया नहीं है .जिसमे लड़ने वाले दो लोग हैं . खुद की लड़ाई खुद ही  से है .खुदा जहाँ खुद से बैगैरत है और आसमान में बैठे तमाशबीन से ज्यादा कुछ नहीं .सठिया गए बूढ़े  की तरह वो खींसे -निपोरता कभी चादर मांगता, और कभी जब उसका हुक्का पीने का दिल करता चार - छह धूप की बोटियाँ उसके मुंह में  ठूस दी जाती , कम से कम बेचारा कुछ देर मुँह के भीतर जलते सुगन्धित प्रसाधनों में उलझा रहेगा .

फिर नमाज के बाद समझ लिया जाता कि दोजख का रास्ता जैसे हमेशा के लिए बंद हो गया .लोग बुदबुदाते  रहते और सब सर झुकाते मगर कोई उनसे नहीं पूछता कि वो लोग कुछ ढंग का कम क्यूँ नहीं करते .

मंदिर में या मस्जिद में, कहीं भी गया ऐसा लगा कि इन घंटियों के बीच , इन अजानों के बीच गहरा कोई सन्नाटा है जो मौकापरस्त, मक्कार संप की तरह घात  लगाये बैठा है . इसे जब-जब मौका मिला इसने डसा . कभी ४७ ,कभी ८४, कभी बाबरी ,कभी गोधरा . फिर मौलवी की बढ़ी दाढी हो या पंडित की चुटिया ,किसी को भी इसने नहीं बक्शा .

मेरे बच्चे ने पूछा सड़क के उस पर वाली गलियों में जाने की पाबन्दी क्यूँ है ? मैंने कहा वहां खुदा रहता है ! इसलिए पाबन्दी है .

वो एक दिन बिन बताये उन्हीं गलियों में आगे बढ़ गया .शाम तक न लौटा तो मुझे चिंता हुई . मैं भी जहाँ कभी न जाने का फक्र दिल में पाले बैठा था , वहां के लिए चल पड़ा . खूब ढूंढा .ढूंढता ही रहा . जब तक थक न गया शाम न हुई -बस ढूंढता रहा .शाम को जब कसाइयों की दुकानों पर बोटियाँ बिकने लगीं तो दिल दहल गया मैं दुकानों पर भी घुमा की कहीं .....पर इंसानी गोश्त की पहचान मुझे नहीं थी ...डर था क्यूंकि सब गलत हो रहा था और जनेऊ  काटे जा रहे थे . हर तरफ अफरातफरी का माहौल सा था .ऐसे में मेरा बेटा खुदा को खोजता हुआ यहाँ आया होगा . दस साल की उम्र में हर चीज को जानने का तूफान दिल में हिंडोले ले रहा होता है .फिर उसका क्या दोष !

मैं थके क़दमों से चरों तरफ ढूंढता रहा . फिर देखा कि खुदाबक्श के घर के पास अंजीर के पेड़ के नीचे वो खेल रहा है .मैंने उसे लात घूंसों से मारा ,लताड़ा और घसीटा . बिना इस बात पर गौर किये की वो जिन्दा है और सही सलामत है .

उसने कहा खुदा ढूंढने नहीं आया था !!  वो तो हमारे भगवान्  के पास ही कहीं रहता है . जब भगवान् मिल जायेगा तो खुदा का बिस्तर भी ढूंढ़ लेंगे .

एक बच्चा यहाँ से हमारे यहाँ आ गया था भगवान ढूंढ़ते  हुए . उसको मैंने बताया की हमारा भगवान तुम्हारे खुदा  के पास ही रहता है उसे ढूंढ़ते हुए तुम रास्ता भटक गए हो. यहाँ कोई भगवान नहीं सिर्फ भगवा है . तुम अपने खुदा  के पास ही रहो . जब वो मिल जाये तो भगवान भी मिल जायेगा .तब मुझे भी मिलाना .

इस छोटे बच्चे को खुदा  के पास वापस करने आया था और यहीं खेलता रह गया . सॉरी पापा !!






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