चार लोगों को मेरा ख़त नहीं पढने देते ,नादाँ हैं जो मुझे और लिखने नहीं देते
मेरी कलम किसी हुक्म की मुहताज नहीं ,ये बात और है की तुम कागज पर चलने नहीं देते
हमें साथ मैं हँसने से रोकने वाले जरा गौर से सुन ले मेरे दोस्त मुझे अकेले रोने नहीं देते
दीपक अन्जान...
दोस्तों smses पर लगी रोक हटा ली गयी ..लौट के बुद्धू घर को आये .
शेयर करें और उन्हें नींद से जगाएं ...ताजा होलें ........
मेरी कलम किसी हुक्म की मुहताज नहीं ,ये बात और है की तुम कागज पर चलने नहीं देते
हमें साथ मैं हँसने से रोकने वाले जरा गौर से सुन ले मेरे दोस्त मुझे अकेले रोने नहीं देते
दीपक अन्जान...
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