सूखे पत्तों से ख़ामोशी की उम्मीद क्या करें
तुझसे तेरे घर से ,इस जमाने से उम्मीद क्या करें
किसी का दिल रखने के लिए जिन्हें झूठ बोलना तक नहीं आता
ऐसे लोगों से बहाने की उम्मीद क्या करें
एक बेवफा से रूठ जाने की उम्मीद क्या करें
इस रात के सन्नाटे, इस वीराने से उम्मीद क्या करें
छूकर गुजरी हैं जो तेरे दरवाजे को
उन हवाओं से मदहोशी की उम्मीद क्या करें
इन बंधी जुल्फों से छाँव की उम्मीद क्या करें
जो अब तक लौट ना पाया उससे लौट आने की उम्मीद क्या करें
जिसके सर पर मोहब्बत की छत नहीं उससे आशियाने की उम्मीद क्या करें
दीपक अन्जान ...
तुझसे तेरे घर से ,इस जमाने से उम्मीद क्या करें
किसी का दिल रखने के लिए जिन्हें झूठ बोलना तक नहीं आता
ऐसे लोगों से बहाने की उम्मीद क्या करें
एक बेवफा से रूठ जाने की उम्मीद क्या करें
इस रात के सन्नाटे, इस वीराने से उम्मीद क्या करें
छूकर गुजरी हैं जो तेरे दरवाजे को
उन हवाओं से मदहोशी की उम्मीद क्या करें
इन बंधी जुल्फों से छाँव की उम्मीद क्या करें
जो अब तक लौट ना पाया उससे लौट आने की उम्मीद क्या करें
जिसके सर पर मोहब्बत की छत नहीं उससे आशियाने की उम्मीद क्या करें
दीपक अन्जान ...
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