Friday, September 7, 2012

जाग ज़रा और तय कर ले ,अब जीना है या मरना है

आग लगानी  है फिर से और फिर से मंथन करना है
लड़ते लड़ते सब मरते हैं ,तुझे मरते मरते लड़ना है

भारत नंदन मन शूर -वीर ,अब कितना और तरसना है ?
जाग ज़रा और तय कर ले ,अब जीना है या मरना है

हिंद से लेकर शिखर हिमालय सबका वंदन करना है
संकल्प ,समर्पण ,लाल रंग से माँ का चन्दन करना है

दीपक अन्जान ...


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