Wednesday, February 27, 2013

बच्चियाँ लुटती रहीं ,और काफिलों पर बम गिरे

बच्चियाँ  लुटती रहीं ,और काफिलों पर बम गिरे
कुछ ने चोरी की मगर कुछ और तो लूटा किये
बदकिस्मती और भूख मिलकर साथ में  रोती  रही
सबने देखा  दिल्ली में , बस दिल्लगी होती रही

फूल चरखे पे चढ़ा या चरखा फूलों को कते
हाथी गरजे  जोर से या फिर मुलायम जोर दे
राजनीती और नीति मिलकर साथ में घुटती  रहीं
सबने देखा  दिल्ली में , बस दिल्लगी होती रही

रेल है ,सब खेल है सबकुछ मिला के जेल है
यह देश अंग्रेजों का है ,बस रंग का सम्मेल है
हर खुदाई खूब रोई , रोड पर  जलती रही
सबने देखा  दिल्ली में , बस दिल्लगी होती रही






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