कहूँ किसे कि मैंने तो,जाना है ये अनजाने में
जिन्दा कहीं कहीं से हूँ मैं ,मरा नहीं इसलिए अभी तक
अपने पंख छुपा के उड़ना सीख लिया है शायद
डगमगा रहा हूँ लेकिन मैं, गिर नहीं सका इसलिए अभी तक
कहूँ किसे कि मैंने तो,जाना है ये अनजाने में
दुनिया जूठी और सच्चा मैं ,इसलिए तमाशा होता है
आँसू के दरिया सूख चुके , दिल का ये समंदर रोता है
इसकी ,उसकी और सबकी बातों को सुनता हूँ शायद
इसलिए तकुल्लफ़ होती हैं ,इसलिए तकाजा होता है
मदिरा के प्याले में मैंने, अब दूध है पीना सीख लिया
भूली बहुत हैं बातें लेकिन ,धुत हुआ नहीं इसलिए अभी तक
पूरी रात बदलकर करवट ,सूरज का सपना देखा है
इसलिए अँधेरे में जुगनू संग ,थोड़ा चमका हूँ मैं भी शायद
जिन्दा कहीं कहीं से हूँ मैं ,मरा नहीं इसलिए अभी तक
अपने पंख छुपा के उड़ना सीख लिया है शायद
डगमगा रहा हूँ लेकिन मैं, गिर नहीं सका इसलिए अभी तक
कहूँ किसे कि मैंने तो,जाना है ये अनजाने में
दुनिया जूठी और सच्चा मैं ,इसलिए तमाशा होता है
आँसू के दरिया सूख चुके , दिल का ये समंदर रोता है
इसकी ,उसकी और सबकी बातों को सुनता हूँ शायद
इसलिए तकुल्लफ़ होती हैं ,इसलिए तकाजा होता है
मदिरा के प्याले में मैंने, अब दूध है पीना सीख लिया
भूली बहुत हैं बातें लेकिन ,धुत हुआ नहीं इसलिए अभी तक
पूरी रात बदलकर करवट ,सूरज का सपना देखा है
इसलिए अँधेरे में जुगनू संग ,थोड़ा चमका हूँ मैं भी शायद
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