पाकिस्तान के वजीर आजम को अगर हमारे मंत्री साहेब ने खाना खिला दिया तो इतना हंगामा क्यूँ भाई? और वैसे भी मंत्री जी ने साफ़ कर तो दिया ना कि उन्होंने जो भी किया शिष्टाचार के तहत किया . मैं आप से पूछता हूँ कि अगर परवेज साहेब आप के यहाँ आते तो क्या आप उनको भूखा जाने देते ? अब मंत्री साहेब से आप क्या उम्मीद लगा रहे थे की वो वजीर को देखते ही गोली मार दें !! अरे भाई राजनीती मैं ऐसा नहीं होता . हलाल करने से पहले बकरे को खिलाया जाता है और यह बात मंत्री साहेब आप से और मुझसे बेहतर जानते हैं . यह लंच उसी की निशानी थी और अब जरा सोचिये वजीर साहेब ने हिंदुस्तान का नमक भी खा लिया है . हम सभी उनसे वफादारी की उम्मीद कर सकते हैं .
मैं सोच रहा था की खुर्शीद साहेब ने खाना किस थाली मे परोसा होगा .उस थाली मैं जिसमें पाकिस्तान ने पहले ही छेद कर दिए हैं या नयी थाली मैं परोसकर कहा होगा जहापनाह खाना काबुल करो .जो भी हो अब वजीर के पेट मैं हमारे चूजे दौड़ रहे हैं .
न्यूज़ चैनल दिखा रहे हैं को वजीर साहेब जियारत के लिए आये थे . यह बहुत ही उम्दा ख्याल है और अगर इसके पीछे कोई राजनैतिक समीकरण नहीं है तो हम सभी को इसका स्वागत करना चाहिए और वैसे भी हिन्दुस्तानियों के साथ किये गए जुल्मों की मुआफ़ी भी हिंदुस्तान मैं आकर मांगना लाजिमी ही है .
.हंगामा क्यूँ भाई ?
मैं सोच रहा था की खुर्शीद साहेब ने खाना किस थाली मे परोसा होगा .उस थाली मैं जिसमें पाकिस्तान ने पहले ही छेद कर दिए हैं या नयी थाली मैं परोसकर कहा होगा जहापनाह खाना काबुल करो .जो भी हो अब वजीर के पेट मैं हमारे चूजे दौड़ रहे हैं .
न्यूज़ चैनल दिखा रहे हैं को वजीर साहेब जियारत के लिए आये थे . यह बहुत ही उम्दा ख्याल है और अगर इसके पीछे कोई राजनैतिक समीकरण नहीं है तो हम सभी को इसका स्वागत करना चाहिए और वैसे भी हिन्दुस्तानियों के साथ किये गए जुल्मों की मुआफ़ी भी हिंदुस्तान मैं आकर मांगना लाजिमी ही है .
.हंगामा क्यूँ भाई ?
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