Saturday, March 30, 2013

ये माजरा क्या है ??

जो लोग संजय दत्त के अच्छे  होने का हवाला दे रहे हैं और बता रहे हैं  की देश विरोधी गतिविधियों में उसका  कोई  हाथ नहीं था वो लोग भूल रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने संजय को न तो अच्छा इंसान होने के लिए सजा दी गयी है न ही देश विरोधी गतिविधियों के लिए। उसे सजा मिली है -आर्म्स एक्ट के तहत - अवैध  हथियार रखने के लिए !

किसी भी आम नागरिक की ही तरह  संजय भी कानून के दायरे मे आते हैं.

जिन जस्टिस काटजू ने संजय के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई  है कृपया उन काटजू महाशय का रिकॉर्ड चेक करें कि उन्होंने इससे पहले कितने आम नागरिकों के लिए ऐसी याचिकाएं दी हैं . संजय दत्त के
अलावा उन्होंने एक और आदमी के लिए याचिका दी है जो आर्म्स एक्ट के तहत ही दोषी है और यह मात्र दिखावे की राजनीति प्रतीत होती है ताकि संजय वाली याचिका को अमली जामा पहनाया जा सके। मेरा जस्टिस जी से अनुरोध है कि इस देश में हिंदुस्तान और पड़ोसी मुल्कों के बहुत से बेगुनाह जेल की कैद में इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं . कृपया उनकी भी मदद करें पुण्य मिलेगा . संजय को बचाने  वाले आप जैसे हजारों हैं मगर जिन लोगों की बात मैं कर रहा हूँ उनके लिए कोई नहीं .

और फिर  काटजू  जी तो खुद सुप्रीम कोर्ट में जज रह चुके हैं ,पर लगता है कि उन्हें स्वयं सुप्रीम कोर्ट के आदेश में  कोई खास श्रद्धा नहीं है।काटजू जी ऐसा क्यूँ कर रहे हैं वो तो सिर्फ वो ही जानते हैं।

वकीलों और जजों को काला कोट इसलिए पहनाते हैं ताकि उन पर कोई और रंग न चढ़ सके पर काटजू जी ये माजरा क्या है ????

न जाने क्यूँ अमिताभ का जंजीर वाला संवाद याद आया " ये पुलिस स्टेशन है ,तुम्हारे बाप का घर नहीं ! जब तक बैठने को न कहा जाय शराफत से खड़े रहो।"

सिस्टम का मजाक बना रखा है .ये देश का कानून है , तुम्हारे बाप की प्रॉपर्टी नहीं जिसमे जब चाहे जहाँ जाहे तुम टांग उठा लो !!


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