देश निकाला दे दिया मुझे , सोचने के जुर्म मे
फाँसी मिली मुझे तो अपने ही क़त्ल के जुर्म में
क्यूँ ऑंखें फोड़ रहे हैं ये लोग देखने के जुर्म में
क्या मरना पड़ेगा सबको इबादत के जुर्म में
लूटा गया था मुझको , कारवां के जुर्म में
हद हो गयी सताया शराफत के जुर्म में
मैं तो हर धर्म को मानता था ,और सबको साथ रखना चाहता था .... फिर ............
क्यूँ कुरान मेरा जलाया गीता के जुर्म में
क्यूँ राम को सताया ,अल्लाह के जुर्म में
क्यूँ रुसवाई मुझे देदी मोहब्बत के जर्म में
क्या मौत ही मिलती है ,जिंदगी के जुर्म में
फाँसी मिली मुझे तो अपने ही क़त्ल के जुर्म में
क्यूँ ऑंखें फोड़ रहे हैं ये लोग देखने के जुर्म में
क्या मरना पड़ेगा सबको इबादत के जुर्म में
लूटा गया था मुझको , कारवां के जुर्म में
हद हो गयी सताया शराफत के जुर्म में
मैं तो हर धर्म को मानता था ,और सबको साथ रखना चाहता था .... फिर ............
क्यूँ कुरान मेरा जलाया गीता के जुर्म में
क्यूँ राम को सताया ,अल्लाह के जुर्म में
क्यूँ रुसवाई मुझे देदी मोहब्बत के जर्म में
क्या मौत ही मिलती है ,जिंदगी के जुर्म में
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