Monday, March 11, 2013

समुच्चय है ! हाड़ -मांस और दुर्गन्ध भरे त्याज्य पदार्थों का

समुच्चय  है ! हाड़ -मांस और दुर्गन्ध भरे त्याज्य पदार्थों का
या मनुष्य तेरा यह जीवन कुछ और भी है
भावनाएं हैं हंसने रोने बिलखने और डरने डराने की
या मनुष्य ये अद्रश्य जाल कुछ और भी है
पशुत्व और  देवत्व  के बीच की कड़ी मात्र है
या तेरा  ये कन्टमार्ग कुछ और भी है
क्रंदन है ?अभिनन्दन है ? या वंदन है मुक्त विचारों का?
या मेरी सोच के पार  यह कुछ और भी है
रक्त है? विरक्त है? कि प्रेम से विभक्त है ?
या कभी सशक्त सा, तू सर्व प्रेम युक्त है
जीव है ,मनुष्य है ,मानव,कभी इंसान है
परिणाम है कभी मगर कभी स्वयं प्रमाण है
भूल के स्वयं को तू सबसे बड़ा हैवान है
जो आत्मज्ञान युक्त हो तो तू स्वयं  भगवान  है

दीपक


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