Sunday, May 12, 2013

ऐसे वक़्त पर दगा दे जाते हैं जब कोई आसरा नहीं बचता एक हम हैं कि भरी धूप में आपके लिए रौशनी का इन्तेजाम करते हैं

लड़ते हैं ,झगड़ते हैं, मोहब्बत में कत्ले आम करते हैं
एक हम हैं कि उनसे भी मोहब्बत करते है जो आप से मोहब्बत करते हैं

संगे दिल कहकर ,पीठ पे खंजर से वार करते हैं
एक हम हैं कि आप शक करते हैं तो समझते हैं कि आप हमें याद करते है

ऐसे वक़्त पर दगा दे जाते हैं जब कोई आसरा नहीं बचता
एक हम हैं कि भरी धूप में आपके लिए रौशनी का इन्तेजाम करते हैं

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