सात कटु वचन
१/लोगों ने पूछा की क्या तुम भी हिंदुस्तान में भ्रष्टाचारी नेताओं के पुतले जलाते हो?
१/लोगों ने पूछा की क्या तुम भी हिंदुस्तान में भ्रष्टाचारी नेताओं के पुतले जलाते हो?
मैंने कहा नहीं हमारे यहाँ तो एक पुतला ही इस वक़्त नेता बना बैठा है , जिन्दा पुतलों को जलना हमारे यहाँ अपराध है !!
२/ देश के आत्मसम्मान को दोबारा पुनर्जीवित करने वाले देशभक्त कहीं बाहर से मांगने होंगे या फिर इसी देश के मुन्ना ,मुन्नी, दीपू ,बबली आगे आएंगे ...अपने बच्चों को देश प्रेम से ओतप्रोत करें क्यूंकि जो मात्रभूमि का सम्मान करना जनता है वही अपनी माँ का सम्मान करता है .
३/ जिस देश में पारिवारिक मूल्य इतनी तेजी से बदल रहे हैं वहां राजनैतिक मूल्यों का बदलना कोई आश्चर्य का विषय नहीं होना चाहिए .
४/ आज जरूरत लीडर्स खड़े करने की नहीं , फॉलोअर्स बनाने की है . आज हर कोई लीडर बनना चाहता है चाहे पात्रता हो या न हो . आज देश को हनुमान/वानरों/रीछ जैसे सच्चे फॉलोअर्स की जरूरत है
५/ आज देश डूब रहा है , अच्छा ही है . सूरज फिर से उगे इसके लिए उसे डूबना ही होता है. बीच का समय आत्मावलोकन का होता है . अभी वही समय चल रहा है.
६/ हमारे देश के संस्कार कभी नहीं मरे . आज भी हमारे अवचेतन में अपभ्रंशों के रूप में वे जीवित हैं .श्रीकृष्ण के अधर्म चक्र अवतरण की तरह ही इनका जाग जाना भी अवश्यंभावी है .
७/ जीवन के परिष्करण का समय आज , अभी और यहीं है . जीवन को किसी न किसी कारणवश सभी को अलविदा कहना ही है . अच्छा होगा कि यह जीवन देश के काम आ जाये .
दीपक
२/ देश के आत्मसम्मान को दोबारा पुनर्जीवित करने वाले देशभक्त कहीं बाहर से मांगने होंगे या फिर इसी देश के मुन्ना ,मुन्नी, दीपू ,बबली आगे आएंगे ...अपने बच्चों को देश प्रेम से ओतप्रोत करें क्यूंकि जो मात्रभूमि का सम्मान करना जनता है वही अपनी माँ का सम्मान करता है .
३/ जिस देश में पारिवारिक मूल्य इतनी तेजी से बदल रहे हैं वहां राजनैतिक मूल्यों का बदलना कोई आश्चर्य का विषय नहीं होना चाहिए .
४/ आज जरूरत लीडर्स खड़े करने की नहीं , फॉलोअर्स बनाने की है . आज हर कोई लीडर बनना चाहता है चाहे पात्रता हो या न हो . आज देश को हनुमान/वानरों/रीछ जैसे सच्चे फॉलोअर्स की जरूरत है
५/ आज देश डूब रहा है , अच्छा ही है . सूरज फिर से उगे इसके लिए उसे डूबना ही होता है. बीच का समय आत्मावलोकन का होता है . अभी वही समय चल रहा है.
६/ हमारे देश के संस्कार कभी नहीं मरे . आज भी हमारे अवचेतन में अपभ्रंशों के रूप में वे जीवित हैं .श्रीकृष्ण के अधर्म चक्र अवतरण की तरह ही इनका जाग जाना भी अवश्यंभावी है .
७/ जीवन के परिष्करण का समय आज , अभी और यहीं है . जीवन को किसी न किसी कारणवश सभी को अलविदा कहना ही है . अच्छा होगा कि यह जीवन देश के काम आ जाये .
दीपक
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