सपनों में दायरे नहीं होते , बस पंख होते हैं बस उडान होती हैI
मैं जानता हूँ इन हँसने वालों को ,उन्हें इस सफ़र से कितनी थकान होती हैII
Tuesday, June 4, 2013
Sarkari Karmchari
प्रोटोकॉल के नाम पर एक सरकारी ऑफिसर को लेने चार कर्मचारी लोग रेलवे station पहुँच जाते हैं . मुझे समझ नहीं आता ये कैसे प्रसाशन सम्हालेंगे जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए चार कन्धों का सहारा चहिये.
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